Wednesday 17 May 2017

Youtube वीडियो देखकर खेत में ही बनाई लैब, 10th पास किसान आज मशरूम से कमा रहा लाखों


कुरुक्षेत्र के भौर सैयदां गांव के हरपाल सिंह बाजवा ने मशरूम उत्पादन से शुरू किए बिजनेस में एक कदम आगे बढ़ाते हुए स्पॉन मेकिंग (मशरूम का बीज तैयार करने की एक विशेष विधि, जिसमें उसे एक निश्चित तापमान पर रखा जाता है) में महारत हासिल की है।
10वीं पास किसान हरपाल ने 50 हजार से मशरूम उत्पादन शुरू किया और लाखों रुपए कमा रहे हैं। उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से स्पॉन मेकिंग के लिए एक लैब तैयार कर रखी है, जिसमें हर साल 1500 किलो स्पॉन तैयार कर रहे हैं।

किसानों के लिए हैं रोल मॉडल, आगे पढ़िए कैसे तय किया सफर...
- हरपाल सिंह बाजवा बताते हैं कि पहले वे परंपरागत खेती करते थे। वर्ष 1995 में मात्र 50 हजार रुपए से मशरूम उगाना शुरू किया। धीरे-धीरे मुनाफा हुआ तो इस तरफ ध्यान बढ़ा।

- कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र और खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन के सहयोग से अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी ली और अपनी जमीन पर ही मशरूम के लिए कंपोस्ट बनाना शुरू कर दिया। किसानों ने कंपोस्ट खरीदना शुरू कर दिया तो इसके लिए सोलन से बीज लाना पड़ता था।

- बीज की आवश्यकता बढ़ी तो एक अत्याधुनिक स्पॉन (मशरूम का बीज तैयार करने की एक विशेष विधि, जिसमें ) लैब लगाने का मन बनाया और अपने खेत में ही स्पॉन लैब लगा दी। इसके लिए हरियाणा सरकार के बागवानी विभाग ने सब्सिडी दी और बैंक ने लोन दिया।

- कुल 62 लाख रुपए का लोन लिया। रिश्तेदारों ने रोका कुछ ने तो मदद करने से भी इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कदम पीछे नहीं हटाए, आज स्थिति ये है कि वे हरियाणा के प्रगतिशील किसानों में से एक है।

- वे मशरूम उत्पादन, कंपोस्ट मेकिंग और स्पॉन प्रोडक्शन से लाखों रुपए कमा रहे हैं।

जिला स्तर से लेकर मुख्यमंत्री और यूनिवर्सिटी ने कर रखा है सम्मानित
- हरपाल सिंह जिला स्तर के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी सम्मानित हो चुके हैं।

- इसके साथ-साथ 3 बार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन ने भी उन्हें सम्मानित किया है। यू-ट्यूब से देख-देखकर विदेशी तर्ज पर बनवाई लाखों की मशीनें हजारों में
- हरपाल सिंह बाजवा बताते हैं कि उन्होंने इस क्षेत्र में अधिक से अधिक आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया है। अपने यहां कुछ मशीनों को विदेशों की तर्ज पर बनवाया है।

- उन्होंने यू-ट्यूब से मशीनें देख-देखकर लाखों रुपए की मशीनें हजारों रुपए में तैयार करवाई है। कंपोस्ट मिलाने के लिए कंपोस्ट फिलिंग मशीन, कंपोस्ट बैग भरने के लिए कंपोस्ट बैग फिलिंग मशीन अपने यहां ही तैयार कराई है।

अब 30-35 डिग्री में भी उगा सकते हैं मशरूम
- हरपाल सिंह बाजवा बताते हैं कि अमूमन मशरूम सर्दियों में उगाई जाती है, लेकिन स्पॉन मेकिंग लैब में उन्होंने अमेरिका के पेनसिलवेनिया से स्पॉन मंगाकर मशरूम का ऐसा बीज मंगाया है, जिससे अब किसान 30-35 डिग्री में भी मशरूम उगा सकते हैं। इस तकनीक का फायदा उठाने के लिए अधिक से अधिक किसान उनसे संपर्क कर रहे हैं।

ये है स्पान मेकिंग प्रोसेस
- मशरूम का बीज वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया जाता है। इन बीजों को बोतल या पॉलिथिन की थैलियों में 250 या 500 ग्राम/बोतल या थैली भरते है।

- थैली के मुंह पर पहले लोहे का छल्ला लगाते हैं फिर उसमें रूई की डाट लगाते हैं। बोतल या थैली को जीवाणुविहीन करने के लिए आटोक्लेव/कुकुर में 22 पौंड दाब/वर्ग इंच पर 2 घंटे रखते है। ठंडा होने पर माध्यम में मशरूम बीज (स्पान) मिलाते हैं।

- यह कार्य जीवाणुविहीन कक्ष में किया जाता है। मशरूम फफूंद की वृद्धि इन दानों पर 15-20 दिनों में हो जाती है और फफूंद के क्वकजाल द्वारा सम्पूर्ण दाने ढक लिए जाते हैं, इसे मशरूम का बीज (मदर स्पान) कहते है। इस प्रकार तैयार बोतलों से बीज दूसरी बोतल में मिलाया जाता है तब इसे प्रथम संतति स्पान कहते हैं।

No comments:

Post a Comment