Monday 10 April 2017

10 रुपये का सिक्का जेल करवा सकता है, देखिए काम की खबर वरना पछताएंगे


10 रुपये के सिक्के के चक्कर में आपको जेल जाना पड़ सकता है। इसलिए जरूरी देख लीजिए ये बड़े काम की खबर, वरना पछताना पड़ेगा।

पिछले काफी समय से 10 रुपये का सिक्का लेने से दुकानदार मना कर रहे हैं। इस बात को लेकर आए दिन लोगों और दुकानदारों में नोकझोंक होती रहती है।

ऐसा ही कुछ सड़कों पर देखने को मिलता है, जब ऑटो वाले ने 10 का सिक्का लेने से यह कहते हुए मना कर दिया कि यह तो नकली होता है। बेहतर होगा कि आप नोट दे दें, वरना मेरा नुकसान हो जाएगा।

पिछले साल दिल्ली, हरियाणा और बिहार में नकली सिक्कों की चार फैक्ट्रियां पकड़ी गईं। खुलासा हुआ कि बड़े पैमानों पर सिक्कों का गोरखधंधा हो रहा है।

फिर नकली सिक्कों की वजह से लोगों ने 10 के सिक्कों का लेन-देन बंद कर दिया। बाजार में छोटे दुकानदार और रेहड़ी वाले दस रुपये के सिक्के लेने से इंकार कर रहे हैं। सबसे अधिक समस्या सब्जी मंडी में और ऑटो का इस्तेमाल करने वाले लोगों के साथ आ रही है।

इस मामले में बात करने पर चंडीगढ़ के एक बैंक अधिकारी ने बताया कि शहर में ही नहीं, देश भर में 10 रुपए के अलग-अलग तरह के सिक्कों को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है।

इस पर हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने स्पष्ट करते हुए कहा कि बाजार में चल रहा कोई भी सिक्का अमान्य नहीं है और सभी सिक्के चलन में हैं। ये समय-समय पर जारी किए गए अलग-अलग डिजाइनों के सिक्के हैं।

आरबीआई के मुताबिक, 10 रुपये का सिक्का भारतीय मुद्रा है। इसको लेने से इनकार करने पर राजद्रोह का मामला बनता है और जो ऐसा करता है उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (1) के तहत मामला दर्ज हो सकता है क्योंकि मुद्रा पर भारत सरकार वचन देती है। इसको लेने से इनकार करना राजद्रोह है। आरबीआई ने सभी बैंकों सहित व्यापारिक संगठनों को भी इस बारे में सख्त दिशा निर्देश जारी किए हैं।

बैंक अधिकारी ने बताया कि शेरावाली की फोटो वाला सिक्का, संसद की तस्वीर वाला सिक्का, बीच में संख्या में ‘10’ लिखा हुआ सिक्का, होमी भाभा की तस्वीर वाला सिक्का, महात्मा गांधी की तस्वीर वाला सिक्का सहित अन्य सभी सिक्के मान्य हैं। इन सिक्कों को विभिन्न विशेष मौकों पर जारी किया गया है। वहीं आरबीआई ने 10 का सिक्का 26 मार्च 2009 को जारी किया गया था।

बैंक अधिकारी ने बताया कि आरबीआई के 75 वर्ष पूरे होने पर, संसद के 60 साल पूरे होने पर, माता वैष्णो देवी मंदिर बोर्ड की रजत जयंती पर, महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से वापस आने की शताब्दी पर, डॉ बीआर अंबेडकर के 125वीं जयंती पर, स्वामी चिन्मयानंद की जन्म शताब्दी के मौके पर सिक्के जारी किए थे, इसलिए सभी वैध सिक्के हैं।

बैंक अधिकारी ने कुछ अन्य जानकारियां भी दीं। उन्होंने बताया कि 10 का सिक्का लेने से इंकार करने वाले लोगों को जेल तक हो सकती है। एफआईआर दर्ज होने पर पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ चालान करके न्यायालय से सजा दिला सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने दस रुपये का सिक्का चलन से बाहर नहीं किया है। ऐसे में असली सिक्का लेने से मना करना कानूनन गलत है और भारतीय मुद्रा का अपमान है।

बैंक अधिकारी ने बताया कि नोट या सिक्के का जाली मुद्रण करने पर, जाली नोट या सिक्के चलाने पर और सही सिक्कों को लेने से मना करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 489ए से 489इ के तहत अपराध है। इन धाराओं के तहत किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक दंड, कारावास अथवा दोनों की सजा दी जा सकती है। 17 साल की सजा या 20000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों सजा दी जा सकती है।

बैंक अधिकारी ने बताया कि अगर आप के भी शहर या कस्बे में भी ऐसा हो रहा हो तो उसका वीडियो या ऑडियो बना कर इलाके के डीएम ऑफिस या थाने में बताएं। असली दस रुपए का सिक्का डबल डाई से तैयार किया जाता है। नकली सिक्के में भी डबल डाई का प्रयोग किया गया है, लेकिन ध्यान से देखने पर इन्हें पहचाना जा सकता है। असली सिक्कों में पीले भाग का रंग हलका हैं, जबकि नकली में पीला भाग ब्राइट है।

असली सिक्के में 10 का अंक दो धातुओं के बीच में है और 10 पट्टी बनी हैं। नकली में 10 का अंक सिल्वर धातु के बीच में है और 15 पट्टी हैं। असली सिक्के में भारत और इंडिया अलग-अलग लिखा है। नकली सिक्के में भारत और इंडिया एक साथ है। असली सिक्का शार्प है, जबकि नकली सिक्का थोड़ा खुरदरा है और साइज में भी फर्क है। नकली सिक्के छोटे हैं और इनका वजन भी कम है। नकली सिक्के का पीला भाग जोर देने पर निकल सकता है, जबकि असली में ऐसा नहीं है।

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