एनर्जी एक्सपर्ट नरेन्द्र तनेजा ने एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि
साल 2017 भारत के लिए महंगे पेट्रोल और डीजल का साल होगा। क्योंकि ओपेक और नॉन ओपेक देशों ने क्रूड कीमतें बढ़ाने का फैसला किया है। लिहाजा आने वाले दिनों में क्रूड उत्पादक देश और प्रोडक्शन कट कर सकते हैं। इसीलिए अगले साल क्रूड की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर भी पहुंच सकती हैं।
- नरेन्द्र तनेजा आगे कहते हैं कि पिछले 2 साल से रूस, साऊदी अरब और अन्य क्रूड उत्पादक देश लगातार अपना प्रोडक्शन बढ़ा रहे थे। इसीलिए कीमतों में गिरावट आई थी। लेकिन इन देशों ने अब आपस में समझौता कर लिया है।
- ये सभी देश क्रूड के जरिये ज्यादा से ज्यादा कमाई कर अपनी इकोनॉमी को अन्य चीजों पर शिफ्ट करना चाहते हैं ताकि उनकी क्रूड पर निर्भरता कम हो सके।
अगले 3 महीने में 5-8 फीसदी तक बढ़ सकते हैं दाम
- रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट जारी कर कहा है कि जनवरी-मार्च तिमाही में पेट्रोल और डीजल के दाम 5 से 8 फीसदी तक बढ़ सकते हैं।
- आपको बता दें कि 1 दिसंबर को देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में 13 पैसे की बढ़ोतरी और डीजल में 12 पैसे की कटौती की थी।
- दिल्ली में फिलहाल (15 दिसंबर 2016) पेट्रोल 66.10 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमतें 54.57 रुपए प्रति लीटर हैं।
मुंबई में पेट्रोल के दाम हो जाएंगे 80 रुपए!
अमेरिकी की ओर से मिल सकती है राहत
- क्रिसिल ने कहा है ओपेक के फैसले की वजह से मार्च, 2017 तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत 50-55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच जाएगी।
- हालांकि अगर क्रूड 60 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा, तो मुंबई में पेट्रोल की कीमत 80 रुपए और डीजल की कीमत 68 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी।
- रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन ऑयल जैसी सरकारी कंपनियां 30-40 दिन एडवांस में क्रूड की बुकिंग करती हैं।
- इसलिए दिसंबर में दाम बढ़ने का इन पर असर नहीं होगा। लेकिन जनवरी-मार्च में उन्हें ज्यादा कीमत पर क्रूड खरीदना पड़ेगा।
- नरेन्द्र तनेजा के मुताबिक क्रूड के दाम करीब दो साल से नीचे चल रहे थे। इससे इनका उत्पादन करने वाले देशों की कमाई घट गई है।
- इसलिए बीते बुधवार को ओपेक देशों ने क्रूड उत्पादन 12 लाख बैरल घटाने का फैसला किया। इससे दाम बढ़ेंगे।
- ग्लोबल स्तर पर अभी 14 से 17 लाख बैरल रोजाना की ओवर सप्लाई है। उत्पादन में कटौती से मांग और आपूर्ति में संतुलन बनेगा।
अमेरिकी की ओर से मिल सकती है राहत
- नरेन्द्र तनेजा बताते हैं कि राहत की बात यह है कि कच्चे तेल का भाव 50 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते ही अमेरिका के ढेरों शेल तेल उत्पादकों के लिए एक बार फिर यह बिजनेस फायदेमंद हो जाएगा।
- ऐसे में वहां उत्पादन बढ़ेगा। नतीजतन अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतों पर लगाम लगेगी।
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