Saturday 17 December 2016

राजनीतिक पार्टियों को नहीं मिल रही टैक्स में कोई छूटः अरुण जेटली

नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज साफ किया कि राजनीतिक पार्टियों को टैक्स से जुड़ा कोई अतिरिक्त फायदा नहीं दिया जा रहा है. 15 दिसंबर 2016 से लागू आयकर कानून संशोधन में राजनीतिक पार्टियों को नोटबंदी के बाद किसी तरह का अलग लाभ नहीं मिलेगा. राजनीतिक दलों की टैक्स जांच को लेकर चल रहे विवाद के बारे में जेटली ने कहा, इस बारे में कानून में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

वित्त मंत्री की तरफ से कुछ अखबारों की खबरों का खंडन करते हुए इनकम टैक्स कानून को लेकर स्पष्टीकरण दिया है. वित्त मंत्रालय ने कहा है कि लोगों में भ्रम पैदा हुआ है, क्योंकि इनकम टैक्स की धारा 13ए के तहत राजनीतिक दलों को आयकर छूट मिली हुई है. लेकिन राजनीतिक दलों के खाते में जमा होने वाले पुराने नोटों की जांच नहीं होगी ये खबर गलत है.

दरअसल अरविंद केजरीवाल ने भी आज आरोप लगाया था कि मोदी सरकार ने ऐलान कर दिया है कि राजनीतिक दल कितनी भी संख्या में 500 और 1000 रुपये के नोट जमा करें, उन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. अरुण जेटली ने साफ किया कि आईटी एक्ट 1961 के सेक्शन 13ए के तहत राजनीतिक पार्टियों के टैक्सेशन से जुड़े नियमों में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है. तो ये कहना कि राजनीतिक पार्टियों के 500-1000 के नोटों के जमा पर किसी तरह का टैक्स नियम लागू नहीं होता ये पूरी तरह गलत है. उन्होंने कहा कि ‘यह पूरी तरह से मीडिया की देन है’’

उन्होंने कहा कि पिछले 2.5 साल में या पिछले 2 महीने के दौरान राजनीतिक दलों के टैक्सेशन संबंधी नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. नोटबंदी के इस दौर में इस तरह के आरोप लगाने से परहेज होना चाहिए. अरुण जेटली ने सभी पत्रकारों को सतर्क रहने और ऐसी खबरें ना फैलाने का आग्रह किया जिससे ये संदेश जाए कि सरकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पूरी तरह काम नहीं कर रही है. आईटी एक्ट 1961 के सेक्शन 13ए के तहत राजनीतिक पार्टियों को ऑडिटिड खातों की जानकारी देनी होती है जिसमें जमा, खर्च और बैलेंसशीट के सारे आंकड़ें प्रस्तुत करने होते हैं.

8 नवंबर को नोटबंदी के बाद किसी भी राजनीतिक पार्टी को 500 और 1000 रुपये के नोटों की शक्ल में चंदा लेने की इजाजत नहीं थी क्योंकि ये नोट वैध नहीं रह गए थे. अगर किसी पार्टी ने ऐसा किया है तो उसने कानून तोड़ा है और इसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. देश की पूरी जनता के समान ही राजनीतिक पार्टियों को भी 30 दिसंबर तक ही पुराने नोट जमा करने की सीमा दी गई है. जो भी रकम वो जमा करेंगी इसके लिए उन्हें जमा की गई रकम का पूरा स्त्रोत और 8 नवंबर से पहले जमा किए 500-1000 के नोटों की रकम के खातों की पूरी जानकारी देनी होगी.

अगर राजनीतिक पार्टियों के बैंक खातों में किसी भी तरह की गड़बड़ी पाई जाएगी तो उनके खिलाफ भी आयकर विभाग पूरी कड़ी कार्रवाई करेगा. उन्हें किसी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी. काले धन के खिलाफ किसी को बख्शा नहीं जाएगा और इसमें राजनीतिक पार्टियां भी आयकर कानून के दायरे में ही हैं.

बल्कि वित्त मंत्री ने ये भी बताया कि पीएम मोदी खुद भ्रष्टाचार रोकने के लिए सार्वजनिक जीवन में नए उदाहरण स्थापित कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने बीजेपी के सभी सांसदों और विधायकों को नोटबंदी के बाद अपने खातों की सभी जानकारी जमा करने को कहा है. बीजेपी अन्य पार्टियों से भी ऐसा ही करने के लिए आग्रह करती है जिससे काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की उनकी बातों का सच्चाई साबित हो सके.

वित्त मंत्रालय के मुताबिक राजनीतिक दलों के खातों की जांच करने के लिए इनकम टैक्स ऐक्ट में कई प्रावधान हैं. इसके अलावा इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने समेत अन्य नियम भी राजनीतिक दलों पर लागू होते हैं. जीएसटी के बारे में जेटली ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल इसके क्रियान्वयन में देर करना चाहते हैं लेकिन उन्हें यह समझना चाहिये कि इसे सितंबर 2017 से आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है. जीएसटी परिषद अब 22-23 दिसंबर को होने वाली अगली बैठक में लंबित मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करेगी.

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