Tuesday 13 December 2016

विवादों में आई युवराज सिंह की शादी, पिता ने खोला राज, क्यों नही गए?

'सिक्सर ​किंग' युवराज सिंह की शादी विवादों में आ गई है। पिता योगराज ने बताया कि आखिर वे क्यों बेटे की शादी में शिरकत करने के लिए नहीं गए?

बेटे युवराज की शादी में शामिल न होने का गम पिता योगराज सिंह की बातों में झलकता है। शनिवार रात को चंडीगढ़ में उनसे बात हुई तो वे इस बारे में खुलकर बोले। साथ ही उन्होंने युवराज के एक बाबा के पास जाकर शादी के लिए आशीर्वाद लेने वाली बात पर भी जमकर नाराजगी जाहिर की।

बता दें कि क्रिकेटर युवराज सिंह और बॉलीवुड एक्ट्रेस हेजल कीच ने इसी हफ्ते शादी रचाई है। इस पर पिता योगराज बोले- भले मैं युवराज की शादी में नहीं गया, लेकिन मेरा प्यार और आशीर्वाद हमेशा से उसके साथ है और रहेगा। ऐसा नहीं है कि शादी में शामिल न होने से हमारे रिश्तों में दरार आ गई हो। युवराज मेरा बेटा है और हेजल मेरी बहू। दोनों मेरा दिल से सम्मान करते हैं।

योगराज सिंह के मुताबिक, मैंने शादी में न जाने का फैसला लिया। ये मेरा पर्सनल मैटर है। बस दोनों की शादी राजी खुशी हो गई, मेरे लिए यही काफी है। मैंने बाबा दीप सिंह जी से प्रार्थना की थी कि मुझे हिम्मत देना। कहीं मेरे कदम भावनाओं में बहकर युवी की शादी तक न पहुंच जाए। बाबा के आशीर्वाद से सब ठीक हुआ।

वहीं डेरे वाले बाबाओं को लेकर वे बोले कि मैं हैरान हूं कि आजकल के पढ़े-लिखे लोग ही डेरे वाले बाबाओं के चक्कर में घूमते रहते हैं। पता नहीं उनकी सोचने-समझने की शक्ति कहां गई है। इनसे सही तो अनपढ़ लोग हैं, जिन्हें सही और गलत के बारे में तो पता है। मैं दूसरों को क्या कहूं, मैं तो खुद ही इस चीज को भुगत रहा हूं। मेरी फैमली तो खुद ही इन चक्करों में पड़ी है।

योगराज सिंह ने कहा कि जिस युवराज को मैंने अपने हाथों से खाना खिलाया, गोद में खिलाया और 16 साल तक क्रिकेट खेलना सिखाया। उसने कभी मुझे एक कुर्ता पायजामा नहीं दिलाया और डेरे में उसने चार-चार गाड़ियों की लाइन लगा रखी है। मेरा मानना है कि दिखावा करने में कुछ भी नहीं रखा है। अगर भक्ति करनी है तो दिल से करो।

योगराज बोले- मैं जानना चाहता हूं कि जिस बाबा के पास वो जाता है, क्या उसने उसे किक्रेट खेलना सिखाया? क्या उस बाबा ने उसके कैंसर को ठीक किया? युवराज कहता है कि मैं बाबा के आशीर्वाद से खेल रहा हूं। मैं लोगों से ये पूछना चाहता हूं कि जो ज्ञान उन्हें इन ग्रंथों से नहीं मिल पाया, जो संस्कार वो इन ग्रंथों से नहीं सीख पाए, वो बाबाओं के पास जाकर क्या सीखते होंगे। मैं बाबाओं के बारे में जानता हूं कि ये कितने सही हैं कितने गलत।


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