Tuesday 6 December 2016

भारत की सड़कों पर कब दौड़ेंगी मानवरहित कारें, जानिए इनकी टेक्नोलाॅजी (driverless cars launch in india)

मानवरहित कारें बिना ड्राइवर कंप्यूटर आैर अन्य आॅटोमेटेड डिवाइसेज से चलती हैं। इनको आप दूर से ही रिमोट से कंट्रोल कर सकते हैं बिलकुल जैसे आप इलैक्ट्रोनिक खिलौना कार चलाते हैं।

ड्राइवरलैस कार बनाने के लिए दुनिया भर की टाॅप कंपनियों जैसे गूगल, एपल, के अलावा फोर्ड, जनरल मोटर्स आैर उबर जैसी कंपनियों ने भी निवेश करना शुरू कर दिया है। ये सभी कंपनियां असल में सेल्फ ड्राइविंग टैक्सी बनाने की फिराक में हैं।

इधर सिंगापुर की केवल तीन साल पुरानी एक स्टार्टअप कंपनी नुटोनोमी ने हाल ही में दुनिया की पहली सेल्फ ड्राइविंग टैक्सी लाॅन्च करके धमाका कर दिया है। कंपनी के मुताबिक उसकी ये टैक्सी लेसर सेंसर, राडार आैर हार्इ डेफिनेशन कैमरा जैसी लेटेस्ट तकनीक से लैस है।

इसे मोबाइल एप की मदद से चलाया जा सकता है। हालांकि अभी इसे केवल टैस्ट ही किया जा रहा है। एेसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि भारत में मानवरहित कारें कब तक लाॅन्च होंगी। एक मीडिया समाचार के मुताबिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि चूंकि भारत की सड़कों पर ट्रैफिक बेतरतीब है इसलिए यहां ड्राइवरलैस कारों की कल्पना भी करना अभी मुश्किल है।

भारतीय सड़कों पर चलते समय कब कहां से जानवर या इंसान आपके सामने आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। एक इंसान के तौर पर हम इस स्थित को संभाल सकते हैं लेकिन एक कंप्यूटर ये सब सिचुएशन इमेजिन नहीं कर सकता है।

मानव रहित कारें यहां तभी संभव हो सकेेंगी जब भारत में स्मार्ट सिटी की परिकल्पना साकार हो सके। स्मार्ट सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था समेत सभी कार्य मशीन से कंट्रोल होते हैं। लेकिन अगर यहां एेसा होता भी है तो यकीन मानिए कि रोजाना टैक्सी से अपनी रोजी रोटी चलाने वाले लाखों टैक्सी-ड्राइवर बेरोजगार हो जाएंगे।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुनिया भर में पहले कनेक्टेड कारें आएंगी, फिर सेमी आॅटोनोमस कारें आैर उसके बाद कहीं जाकर फुली आॅटोनोमस कारों का नंबर आएगा। उनका अनुमान है कि यह सब होने में अभी 10-15 साल का समय आैर लगेगा।

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