इंडिया के सबसे पसंदीदा कंप्यूटर एंटीवायरस 'Quick Heal' के पीछे जिस इंसान की मेहनत है उन्हें काफी कम लोग जानते हैं। कैसे एक छोटी सी दुकान से खड़ी कर दी उन्होंने इतनी बड़ी कंपनी, हम बता रहे हैं।
कैलाश काटकर 'Quick Heal' के चेयरमैन और सीईओ हैं। एक गरीब परिवार में जन्में कैलाश ने केवल दसवीं तक पढ़ाई की है। अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए वह मोबाइल रिपेयर की दुकान में काम करने लगे थे।
उसके बाद वह मुंबई चले गए जहां उन्होंने कुछ महीनों मोबाइल और कंप्यूटर की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के बाद वह मोबाइल और कंप्यूटर के बारे में काफी कुछ जान चुके थे जिसके बाद उन्होंने पुणे में अपनी खुद की दुकान खोल ली।
अपनी 15 हजार की बचत से उन्होंने यह दुकान खोली जिसे वह अकेले चलाते थे। जब दुकान में मुनाफा होने लगा तब उन्होंने बिजनेस को आगे बढ़ाने की सोची। जब वह लाखों में कमा रहे थे तभी उन्हें एंटीवायरस का आईडिया आया। अपने छोटे भाई की मदद से उन्होंने एंटीवायरस बनाया जिसका नाम 'Quick Heal' रखा।
आज सभी जानते हैं कि 'Quick Heal' एंटीवायरस लोगों की पहली पसंद है। कैलाश ने अकेले दुकान चलानी शुरू की थी और आज उनकी कंपनी में 600 से ज्यादा लोग काम करते हैं। इंडिया के साथ-साथ विदेशों में भी इसे काफी पसंद किया जा रहा है।
कैलाश काटकर 'Quick Heal' के चेयरमैन और सीईओ हैं। एक गरीब परिवार में जन्में कैलाश ने केवल दसवीं तक पढ़ाई की है। अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए वह मोबाइल रिपेयर की दुकान में काम करने लगे थे।
उसके बाद वह मुंबई चले गए जहां उन्होंने कुछ महीनों मोबाइल और कंप्यूटर की ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग के बाद वह मोबाइल और कंप्यूटर के बारे में काफी कुछ जान चुके थे जिसके बाद उन्होंने पुणे में अपनी खुद की दुकान खोल ली।
अपनी 15 हजार की बचत से उन्होंने यह दुकान खोली जिसे वह अकेले चलाते थे। जब दुकान में मुनाफा होने लगा तब उन्होंने बिजनेस को आगे बढ़ाने की सोची। जब वह लाखों में कमा रहे थे तभी उन्हें एंटीवायरस का आईडिया आया। अपने छोटे भाई की मदद से उन्होंने एंटीवायरस बनाया जिसका नाम 'Quick Heal' रखा।
आज सभी जानते हैं कि 'Quick Heal' एंटीवायरस लोगों की पहली पसंद है। कैलाश ने अकेले दुकान चलानी शुरू की थी और आज उनकी कंपनी में 600 से ज्यादा लोग काम करते हैं। इंडिया के साथ-साथ विदेशों में भी इसे काफी पसंद किया जा रहा है।
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