Friday 17 February 2017

चेक देकर बैंक से पैसा निकालने वालों के लिए काम की खबर, देख लें वरना पछताएंगे


अगर आप चेक देकर बैंक से पैसा निकालते हैं तो ये खबर आपके लिए बड़े काम की हो सकती है और धोखाधड़ी से भी बच जाएंगे।

दरअसल, नोटबंदी के बाद से बैंकों में जमा होने वाले चेक की संख्या तीन गुणा बढ़ गई है। ऐसे में चेक के माध्यम से होने वाली धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) ने जिले के सभी बैंकों को चेक ट्रांजेक्शन सिस्टम (सीटीएस) से काम करने के निर्देश दिए हैं।

अब चेक क्लीयरिंग के लिए भेजने के बजाय स्कैन करके दिल्ली ग्रिड को भेजे जाएंगे। दिल्ली से हरी झंडी मिलने के बाद भुगतान होगा।

बता दें कि इस ओटोमेशन पद्धति से चेक क्लीयर होने का कार्य 20 फरवरी से शुरू होगा। नए सिस्टम के शुरू होने से बैंक में चेक जमा होने के अगले ही दिन भुगतान हो सकेगा। वहीं, 20 मार्च से नान सीटीएस चेक (पुरानी चेकबुक) अमान्य हो जाएंगे।

इसके बाद खाताधारकों को नई सीटीएस चेक बुक लेनी होगी। नोटबंदी के बाद से एसबीआई मेन ब्रांच के क्लीयरिंग सेंटर में रोजाना 2000 चेक पहुंच रहे हैं।

ध्यान दें कि एसबीआई के इस क्लीयरिंग सेंटर से ही अलग-अलग बैंकों के चेक की क्लीयरिंग होती है। यही नहीं, एक लाख रुपये से अधिक राशि का चेक होने पर बैंक की ओर से चेक जारी करने वाले से फोन पर पूछताछ की जाती है। संबंधित व्यक्ति की सकारात्मक प्रतिक्रिया पर ही चेक का भुगतान किया जाता है। अगर चेक जारी करने वाला इनकार कर देता है तो भुगतान रोक दिया जाता है।

आरबीआई नोटबंदी के बाद से नान सीटीएस चेक (पुरानी चेकबुक) को लेकर सख्त हो गई है। यह चेक सिक्योरिटी के लिहाज से ठीक नहीं हैं। इन पर नए सीटीएस चेक जैसा इनविजिबल कोड नहीं होता है, न ही इन पर संबंधित बैंक का नाम होता है। नए सीटीएस चेक में सिक्योरिटी फीचर्स आ रहे हैं। 20 फरवरी के बाद कोई दूसरे राज्य के बैंक का चेक देगा तो भुगतान नहीं होगा। अगर वह अपने बैंक में नान सीटीएस चेक देगा तो एक दिन में भुगतान हो जाएगा।

ऑटोमेशन पद्धति से चेक का भुगतान होने से चेक बैंक में ही रहेगा। चेक को केवल इमेज स्कैनर से स्कैन करके भेजा जाएगा। ग्रिड इन- कोडिंग के बाद फंड सेटलमेंट के लिए सेंट्रलाइज क्लीयरिंग प्रोसेसिंग सेंटर के पास जाएगा। इस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर चेकों की क्लीयरिंग होने लगेगी और लोकल क्लीयरिंग बंद हो जाएगी। चेक क्लीयरिंग की पूरी प्रक्रिया पर रिजर्व बैंक के विंग नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया की नजर रहेगी। इस तरह से मेनुअल कार्य नहीं होगा।

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